सरकारी जमीन पर स्थित पहाड़ को काटकर करीब 4 साल में काले पत्थर के माफिया ने 16 करोड़ 5 लाख रुपए का पत्थर बाजार में बेच दिया। जांच में यह खुलासा होने के बाद मामले में पत्थर माफिया ओम स्टोन क्रेशर के संचालक लक्ष्मण चौरसिया व उसके अन्य भागीदारों पर धारा 379 के तहत पत्थर चोरी का केस दर्ज कराया गया है। खनिज निरीक्षक दीपक सक्सेना की ओर से बिलाैआ थाने में दर्ज कराई गई यह एफआईआर एंटी माफिया अभियान में किसी पत्थर माफिया के खिलाफ पहली है।
दरअसल, बिलौआ में अवैध खनन की शिकायतें मिलने पर कलेक्टर अनुराग चौधरी ने जांच कराई थी। जांच में पाया गया कि क्रेशर संचालक खदान से लगातार अवैध खनन कर रहे हैं। इस पर कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि अवैध रूप से पत्थर का खनन करने वाले माफियाओं पर पहले ही 427 करोड़ रुपए के जुर्माने वाले केस कलेक्टर कोर्ट में चल रहे हैं।
मार्च 2019 में जांच, 10 माह बाद दर्ज कराई एफआईआर
ओम स्टोन क्रेशर संचालकों द्वारा बिलौआ के सर्वे नंबर 3517/03 की जमीन पर अवैध खनन की शिकायतें लगातार माइनिंग विभाग, डबरा एसडीएम के पास पहुंच रहीं थीं, लेकिन इन शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की गई। कलेक्टर अनुराग चौधरी को मार्च 2019 में व्यक्तिगत तौर पर ये शिकायत मिली। उन्होंने एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तलब की। 26 मार्च 2019 को राजस्व और माइनिंग की संयुक्त टीम ने जांच की और पाया कि माफिया ने उक्त सर्वे नंबर की सरकारी जमीन पर खनन किया।
जांच में पाया गया कि अवैध खनन कर माफिया ने करीब 3 साल में 16 करोड़ 5 लाख का पत्थर चोरी कर लिया है। लेकिन जांच के 10 महीने बाद ये एफआईआर माइनिंग विभाग ने कराई है। राजस्व विभाग भी एक एफआईआर करा सकता है क्योंकि, जहां खनन हुआ वह सर्वे नंबर सरकारी है और लक्ष्मण चौरसिया ने इस जमीन को खुद का बताकर खनन का पट्टा लिया था, जो तहसीलदार द्वारा जमीन को सरकारी घोषित किए जाने के बाद निरस्त हो गया था।
सीएम के आदेश पर जागे अफसर, 8-10 खनन माफिया निशाने पर
मुख्यमंत्री कमलनाथ के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय माफियाओं पर कार्रवाई आदेश के बाद बिलौआ में अवैध खनन करने वाले माफिया अब सूचीबद्ध हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक माइनिंग विभाग बिलौआ, बेरजा, पारसेन, शंकरपुर आदि की खदान और क्रेशरों पर हुए खनन का रिकॉर्ड खंगाल रहा है। अगले कुछ दिनों में 8 से 10 खनन माफिया पर भी केस दर्ज करने और कार्रवाई के संकेत अफसर दे रहे हैं।
मिलीभगत का शक
अवैध खनन रोकने और खदान-क्रेशरों की जांच के लिए जिला प्रशासन, माइनिंग विभाग की टीम के पास जिम्मेदारी है, लेकिन फील्ड के अफसरों द्वारा नियमित जांच और मॉनीटरिंग का काम माफिया के साथ मिलीभगत कर किया जाता है। इस वजह से अवैध खनन पर पर्दा पड़ा रहता है। इससे पहले 2016 में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने भी सख्ती दिखाकर बिलौआ में खनन की जांच कराई थी। इसमें पता चला था कि 23 लोगों ने सरकारी व निजी जमीनों पर जमकर अवैध खनन किया है। उन्होंने पर अवैध खनन करने वालों पर 427 करोड़ का जुर्माना लगाया था। ये मामला अभी भी कलेक्टर कोर्ट में चल रहा है